कोरोना संकट में झारखंड सरकार में शामिल दल को गाइडलाइन से छूट क्यों?

कोरोना संकट में झारखंड सरकार में शामिल दल को गाइडलाइन से छूट क्यों?

रांची/झारखंड:  झारखंड में कोरोना के हालात में सुधार जरुर है। लेकिन ये नहीं कहा जा सकता की खतरा खत्म हो गया है या राज्य में कोरोना के नए मामले आने बंद हो गए हैं। आज भी राज्य में नए कोरोना पॉजिटिव मरीज रोजाना सामने आ रहे हैं। दोबारा राज्य किसी संकट में न घिरे इसलिए सरकार भी फूंक फूंक कर अनलॉक की तरफ कदम बढ़ा रही है। यही वजह है कि अनलॉक-2 में कुछ राहत तो दी गई लेकिन कई प्रतिबंध अभी भी लागू है।

राज्य सरकार की तरफ से 9 जून को रांची में सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आपता प्रबंधन प्राधिकार की बैठक हुई जिसके बाद अनलॉक 2 का फैसला लिया गया। जिसमें अन्य बातों के आलावे ये बातें भी शामिल थीं, जिसके बारे में खुद हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर जानकारी दी थी। जिसके मुताबिक

8. समस्त शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे l

9. आँगन वाड़ी केंद्र बंद रहेंगे पर लाभुकों को घर पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी l

10. 5 व्यक्ति से अधिक के इकठ्ठा होने पर प्रतिबंध रहेगा l

11. विवाह में अधिकतम 11 व्यक्ति शामिल हो सकते हैं और अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 व्यक्ति l

12. धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेंगे l

13. जुलूस पर रोक जारी रहेगी l

14. बस परिवहन पर रोक जारी रहेगी l

15. राज्य के द्वारा कराने वाली परीक्षा स्थगित रहेंगी l

16. मेला और प्रदर्शनी पर रोक जारी रहेगी l

19. सार्वजानिक स्थान पर मास्क पहनना और सामजिक दूरी बनाए रखना अनिवार्य है l

20. आदेश के उल्लंघन की स्थिति में आपदा प्रबंधन अधिनियम की सुसंगत धारा अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी l

ऊपर जो ये सारे नियम कायदे बताए गए हैं ये 9 जून की आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में तय किये गए थे। लेकिन अफसोस की बात ये है कि झारखंड सरकार के इन नियमों को खुद उनकी सरकार में ही शामिल कांग्रेस के विधायक, मंत्री और नेता नहीं मान रहे हैं। इन नियमों और प्रतिबंधों की 11 जून 2021 को खुलेआम दिन के उजाले में राज्यभर में धज्जियां उड़ाते रहे। इसलिए अब ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या हेमंत सरकार इनपर कोई कार्रवाई करेगी?

इस बात पर आगे बढ़ें उससे पहले ये जान लीजिये की आखिर क्यों कांग्रेसी विधायकों, नेताओं और मंत्रियों ने अपनी ही सरकार की फजीहत करा दी।

दरअसल 11 जून 2021 को कांग्रेसी नेता राज्यभर में डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ मोदी सरकार का विरोध कर रहे थे। कांग्रेस की मांग थी कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतें वापस ले और जनता को राहत दे। इसी मांग को लेकर राज्यभर में झारखंड कांग्रेस के तमाम नेता अलग अलग जिलों में पेट्रोल पंप पर प्रदर्शन कर रहे थे। इन्हीं प्रदर्शनों में नियमों का पूरी तरह से दरकिनार किया गया। इन प्रदर्शनों में नारेबाजी तो केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ की गई लेकिन फजीहत उनकी अपनी ही झारखंड सरकार की हुई।

फजीहत इसलिए क्योंकि सरकार ने एक जगह पर 5 से अधिक लोंगों के जमा होने पर रोक लगाई है, फजीहत इसलिए क्योंकि सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य किया है, फजीहत इसलिए क्योंकि सरकार ने किसी भी तरह के सभा-जुलूस पर रोक लगाई है, उसके बावजूद राज्य भर में इस तरह के प्रदर्शन किये जाते हैं। यहां एक सवाल ये भी बनता है कि क्या स्थानीय प्रशासन से इस तरह के प्रशासन की इजाजत पहले ली गई थी?

इस मामले पर गोड्डा बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश झा ने कहा इस वक्त सभी राजनीतिक दलों का प्राथमिकता ये होनी चाहिए कि कोरोना को किस तरह से नियंत्रित किया जाए, किस तरह से ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जाए। ये समय राजनीतिक विरोध का नहीं बल्कि साथ मिलकर समाज की भलाई और सुरक्षा के लिए काम करने की है। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर ने परिवार के सदस्यों के बीच भी दूरी बढ़ा दी। अपनों की अर्थी को कांधा देने से लोग कतराने लगे थे। तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है ऐसे में सभी की कोशिश इसे रोकने की होनी चाहिए।   

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