दिल्ली साइलेंट दिवाली:हिंदुओं की परंपरा पर चोट, बकरीद-मुहर्रम पर बैन क्यों नहीं-चेतन भगत
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 31 अक्टूबर तक पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दी है। ये फैसला दिवाली पर होनेवाले प्रदूषण को लेकर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ लोगों ने इसे सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला बताया तो कुछ ने इस फैसले को हिंदुओं की परंपरा पर चोट कहा। लेखक चेतन भगत ने भी इस प्रतिबंध पर नाराजगी जाहिर की है।
आज अपने ही देश में, उन्होंने बच्चों के हाथ से फुलझड़ी भी छीन ली। हैपी दिवाली मेरे दोस्त।
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
चेतन भगत सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी ट्विटर पर जाहिर की है। चेतन भगत ने कहा है पटाखों की बिक्री पर बैन लगाना गैर-जरूरी है। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि आखिर किस आधार पर किसी की परंपरा पर बैन लगाया जा रहा है। बिना पटाखों की बच्चों की दिवाली का क्या मतलब रह जाएगा। उन्होंने कहा ये बैन परंपरा पर चोट है। बैन की जगह रेगुलेशन ज्यादा बेहतर होता।
उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई सुझाव भी दिये हैं। उन्होंने कहा पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत में सुधार कर भी प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। नए विचारों के साथ आइये, बैन के साथ नहीं। चेतन भगत ने दिल्ली की आबो हवा में सुधार के लिए एक हफ्ते के लिए बिजली और गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह भी दी है।
चेतन भगत ने सवाल किया है कि केवल हिंदुओं के त्योहार पर बैन लगाने की हिम्मत ही क्यों दिखाई जाती है। क्या जल्द ही बकरीद पर बलि और मुहर्रम के खून खराबे पर भी रोक लगेगी। जो लोग दिवाली की त्योहार में सुधार लाना चाहते हैं मैं उनसे यही शिद्दत खून खराबे वाले त्योहार में सुधार के लिए भी देखना चाहता हूं।
Diwali is 1 day, 0.27% of year. pollution comes from 99.6% days of poor planning and regulation. Fix that. Not make 1 religion feel guilty.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
I want to see people who fight to remove crackers for Diwali show the same passion in reforming other festivals full of blood and gore.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
Banning crackers on Diwali is like banning Christmas trees on Christmas and goats on Bakr-Eid. Regulate. Don’t ban. Respect traditions.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017